रांची
झारखंड की राजधानी रांची में मंगलवार को आयोजित ‘संविधान बचाओ रैली’ में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि इंटेलिजेंस इनपुट के बावजूद पर्यटकों की सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम नहीं किए गए — ऐसे में हमले में हुई मौतों की ज़िम्मेदारी प्रधानमंत्री को लेनी चाहिए।
खड़गे ने कहा, “सर्वदलीय बैठक में खुद केंद्र सरकार ने यह स्वीकार किया कि इंटेलिजेंस की चूक हुई थी। अगर चूक मानी गई है, तो जिम्मेदारी भी ली जानी चाहिए। अखबारों में छपा है कि तीन दिन पहले ही हमले की आशंका जताई गई थी। प्रधानमंत्री ने तो अपना दौरा रद्द कर दिया, लेकिन आम लोगों की सुरक्षा पर कोई कदम नहीं उठाया गया।”
खड़गे ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ सरकार की हर सख्त कार्रवाई में कांग्रेस साथ देगी — चाहे वह पाकिस्तान के खिलाफ हो या किसी भी मोर्चे पर। लेकिन सवाल यह है कि जब सरकार के पास चेतावनी थी, तो सुरक्षा क्यों नहीं दी गई?
रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने जातीय जनगणना पर भी केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस की ही जीत है कि जाति आधारित जनगणना अब केंद्र की प्राथमिकता में शामिल हुई है। “पहले भाजपा के नेता कहते थे कि जाति की बात कर जनता को बांट रहे हैं, लेकिन अब वही सरकार जाति का कॉलम जोड़ रही है।”
खड़गे ने बताया कि कांग्रेस ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर तीन मुख्य मांगें रखी हैं —
1. जाति जनगणना के लिए सर्वदलीय बैठक कर मॉडल तैयार किया जाए।
2. निजी संस्थानों में भी पिछड़े, दलित, आदिवासियों और गरीबों को आरक्षण मिले।
3. आरक्षण पर 50% की सीमा हटाई जाए।
नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की कार्रवाई पर उन्होंने कहा कि यह स्वतंत्र पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सीधा हमला है। “नेहरू जी ने जिन अखबारों को आज़ादी की आवाज़ बनाने के लिए शुरू किया था, आज उन्हीं को चलाने के लिए सोनिया गांधी पर केस दर्ज हो रहे हैं। ईडी देशभर में 200 मामले करती है, लेकिन दो प्रतिशत में ही सजा हो पाती है।”
खड़गे ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को भी राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि भाजपा सरकार एक आदिवासी नेता को सत्ता में देख ही नहीं सकती। उन्होंने केंद्र सरकार पर संविधान के खिलाफ काम करने और लोकतंत्र की आवाज़ को कुचलने का आरोप लगाया।